यह किताब वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय की पत्रकारिता और उनके चिंतन के कई आयामों को सामने लाती है।

रामबहादुर राय चिंतन के विविध आयाम 

प्रकाशक : प्रवासी प्रेम पब्लिशिंग इंडिया, गाजियाबाद

लेखक: कृपाशंकर चौबे

मूल्य : 540 रुपये

जनसरोकारों के प्रहरी पत्रकार

कृपाशंकर चौबे की पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक रामबहादुर राय के व्यक्तित्व तथा उनके विचार-संसार को गहराई से समझने का प्रयास करती है। लेखक ने इसमें राय के लेखन, संवाद और विचारधारा के विभिन्न पक्षों को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक केवल एक जीवनी या संस्करण नहीं है, बल्कि यह उनके वैचारिक योगदान की पड़ताल भी करती है। रामबहादुर राय का लेखन राजनीति, समाज, संस्कृति और राष्ट्र जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों से गहराई से जुड़ा रहा है। उनकी दृष्टि सदैव राष्ट्रहित और जनसरोकारों पर केंद्रित रही है। चोबे ने उनके विचारों को अध्याय दर अध्याय इस तरह रखा है कि पाठक को उनके सोचने के तरीके और मूल्यों की झलक साफ दिखाई देती है। विशेष रूप से भारतीय लोकतंत्र, स्वतंत्रता संग्राम की विरासत, पत्रकारिता की मर्यादा और समकालीन चुनौतियों पर उनके दृष्टिकोण को विस्तार से सामने लाने का प्रयास किया गया है। भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण है, लेकिन पढ़ते समय कुछ त्रुटियां सामने आती हैं। यह पुस्तक आम पाठकों से लेकर शोधार्थियों तक सभी के लिए उपयोगी है। इसमें आलोचना के साथ-साथ सम्मानजनक भाव भी दिखाई देता है, जिससे संतुलन बना रहता है। यह पुस्तक न केवल रामबहादुर राय के बहुआयामी चिंतन से परिचय कराती है, बल्कि समाज और राष्ट्र को एक सार्थक विमर्श की ओर भी प्रेरित करती है। यह कृति पत्रकारिता और वैचारिक विमर्श में रुचि रखने वालों के लिए विशेष रूप से पठनीय है।

- चित्रसेन रजक